प्रकृति का आंचल
प्रकृति का आंचल
भारत भूमि है अत्यंत ही पावन
हर राज्य, हर शहर है बहुत मन भावन
जन्मभूमि हमारी हमें प्रिय बेशक होती है
पर इससे भी बढ़कर कर्म भूमि होती है
इससे ही तो हमारी पहचान नई बनती है
यही हमारा पालन-पोषण जो करती है
महाराष्ट्र का एक छोटा सा कस्बा है हरीतिमा से पूर्ण
समुद्र किनारे बसा है प्रकृति से भरपूर
डहाणु रोड़ है नाम इसका जिला है पालघर
यहां के ताडपा नृत्य से होता मन हर्षल
'वारली' चित्रकला के भी हैं दूर दूर तक चर्चे
अनुपम रंगोली के रंगों से नज़रें न हटें
'चीकू के बगान' दूर तक हैं फैले
मीठे अपने स्वाद से मुंह में मिसरी घोलें
ऊँचे-ऊँचे नारियल के पेड़ों की क्या बात
उनके अमृत जैसे जल का भूलोगे न स्वाद
'महालक्ष्मी 'की यात्रा में होते सब शामिल
दर्शन करके माता के शांति होती हासिल
प्रकृति के सौंदर्य से घिरा है यह स्थान
यहां बसने वालों मिलती रहे सदा।
कुदरत की ये छांव