रिश्ते मन के
रिश्ते मन के
छोटी - छोटी बातों को
तुम्हें कहने, दुहराने की
बचपन के तुम्हारे ------
लम्हों को,
अकेले ही दुलराने की
अनगिनत, बेकार बातें जो हैं
ये/ वो, और कुछ नहीं
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हें, खुद के साथ
मजबूती से जोड़े रखने की
रिश्तों की कवायद है..........
दिल जानता है
नहीं हो दूर, आत्मा से
किंतु, यह जो स्वरूप है
अतिथि वाला
सालता है, अंतर्मन को
अनेक माध्यमों से
तुम तक पहुंचने की
बेवजह, कोशिशें जो हैं
ये/ वो, और कुछ नहीं
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हें, खुद के साथ
मजबूती से जोड़े रखने की
रिश्तों की कवायद है..........
देश - काल की दूरी
देती थी, सांत्वना
और, एक अलग सब्र
खुद पर हूं, हैरान
कि, ये/ वो अजीब
सवालों से घिरा जो जीवन है
यह और कुछ नहीं
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारे स्पर्श और स्नेह की
चाहतें हैं......................
मेरा तुझमें, और तेरा मुझमें
अस्तित्व को बचाने की
बेहिसाब, कवायद है...........