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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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हमसफ़र

हमसफ़र

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ए मेरे हमसफ़र नही सूझे जिंदगी का डगर,

जो तू न हाथ थाम लेता कैसे कटता सफ़र।

राह की दुश्वारियां मेरे हौसलों को थी तोड़ती,

 नही कोई ऐसी डगर जो जिंदगी का रुख मोडती,

पर तेरा मेरी जिंदगी में चुपके से आना,

मेरे रूह को तुम्हारे रूह से जाने अनजाने जोड़ती।


ए मेरे हमसफ़र मिलकर निकालेंगे मुश्किल का हल,

माना कि दिन आज बुरा है ऐसा नही होगा कल।

संग जब रहेंगे तो तकलीफें भी आसान होगी,

दर्द तो होगा पर जीवन में खूब शान होगी,

छोटी छोटी बातों का मुद्दा बड़ा नही बनाएंगे हम,

मिलकर रहना ही हमारा असली सम्मान होगी।


ए मेरे हमसफ़र नही तू जीवन से इतना ज्यादा डर,

जो भी जी चाहे उसे तू अपनी मर्जी से जरूर कर।

अपनी जिम्मेदारियों को मिलकर हम ऐसे निभाएंगे,

देखने वाले हतप्रभ होकर सदा देखते ही रह जाएंगे,

हर रिश्ते की मर्यादा का सदा ही ख्याल रखेंगे हम,

जीवन में दुआओं की दौलत मिलकर हम कमाएंगे।


ए मेरे हमसफ़र जिंदगी के टेढ़े मेढ़े रास्तों पर,

चलना है हम दोनों को सदा ही मिलजुलकर।


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