मैं और मेरी लेखनी
मैं और मेरी लेखनी
मैंने अपनी लेखनी से कहा
अपना कुछ कमाल दिखा
कुछ प्रेम के बारे लिख
व्यंग्य और विरह गीत लिख
कविताएं लिख
कहानियां व उपन्यास की
रचना कर,
दिखा दे कुछ दम है
तुझ में।
उसने मुझे प्यार से झकझोरा,
मैं स्वयं में कुछ भी तो नहीं
मैं केवल लिखने का
काम कर सकती हूँ
वो भी अपने साथी
कागज़ के साथ।
सोच तुम्हारी
शब्द तुम्हारे
ज्ञान तुम्हारा
भावनाएं तुम्हारी
अभिव्यक्ति तुम्हारी।
जो चाहो लिखवाओ
लिखूंगी मैं।
प्रेम गीत
विरह गीत
राजनीति पर,
नारी की स्थिति
गरीब के हालात
भ्रष्टाचार
रूढ़िवादिता पर,
जंग और युद्ध पर
शिक्षा नीतियों व
बिगड़ते हालातों पर।
जो चाहो लिखवाओ
लिखूंगी मैं।
समाज में परिवर्तन ला डालो
क्रांति ले आयो
पुरानी गली सड़ी परंपराओं का विनाश का डालो
आर्थिक सुधार ले आयो।
जो चाहो लिखवाओ
लिखूंगी मैं।