छोटी दुनिया, बड़ी दुनिया
छोटी दुनिया, बड़ी दुनिया
संगीत के सात स्वर,
दुनिया का पूरा संगीत
इन्हीं सात स्वरों में समाया।
छोटी सी वर्णमाला,
कोई भी विधा
लेख, कथा,
कविता, कहानी, उपन्यास
इसी वर्णमाला से संश्रय पाया।
तानसेन के मल्हार से
भीमसेन की तोड़ी तक
सहगल के झूले से
कैलाश खेर के बन्दे तक
क्लिष्ट तानें
टेढ़ी तिहाईयां
वादी संवादी
न्यास का जंजाल
मेघों की गर्जन
झरने की झरझर
सब समाया
इन्हीं सात सुरों में।
काव्य पिता
जिओफ्री चौसर से
शेक्सपियर तक,
कालिदास के
अभिज्ञान शाकुन्तलम् से
प्रेमचंद के गोदान तक,
महादेवी की यामा
जयशंकर की कामायनी
सब प्रकटया
छोटी सी वर्णमाला से।
यह सब देख सुन कर
मन ने कहा
दिखने वाली दुनिया
कितनी छोटी
सुनने और समझने वाली दुनिया
कितनी बड़ी।
अपने अस्तित्व को
शून्य सा पाती हूं
इन शब्दों और सुरों की विशालता के आगे।