बरसात
बरसात
बरसात यूं ही नहीं आती
अपने साथ अनेको उम्मीदें लेकर आती ,
जैसे जो पौधे सूख गए हो गर्मी की धूप में उनमें
हरियाली की उम्मीद लेकर आती और हरा भरा कर देती।
बरसात यूं ही नहीं आती
अपने साथ हजारों ख्वाहिशें लेकर आती
जैसे बच्चा हजारों ख्वाहिशों के साथ पहली बार स्कूल में कदम रखता है
और कल हमारे देश का भविष्य बनता है।
बरसात यूं ही नहीं आती
अपने साथ हजारों खुशियां लेकर आती,
जैसे एक किसान के हल से खेत लहलहा उठते
किसानों के घर खुशियों की बाहर आती।
बरसात यूं
ही नहीं आती
अपने साथ रोजगार लेकर आती
जैसे हर कर्मचारी के लिए नया रोजगार मिलता है।
बरसात यूं ही नहीं आती
अपने साथ हजारों सहारे लेकर आती,
जैसे हर इंसान हर पशु पक्षी
अपना घर ढूंढते घर को लौटकर आते है।
बरसात यूं ही नहीं आती
अपने साथ प्यार कि बाहर लेकर आती है
जैसे चकोर पक्षी मिलते हैं वैसे ही
प्रेमी मिलते साथ झूमकर बरसात की बूंदों में।
बरसात यूं ही नहीं आती
अपने साथ रोशनी लेकर आती है
जैसे पूरी धरती में हरे सफेद रंग उजाला छा जाता है ।