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निशा परमार

Abstract

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निशा परमार

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प्रकृति ईश्वर की कृति

प्रकृति ईश्वर की कृति

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प्रकृति ईश्वर की कृति,

अनादि, अनंत, अभेद्य रहस्यमय।

आरम्भ को समेटता बीज़ का अंकुरण

सुगन्ध को सींचता पुष्प का पल्लवन


झरनों से झरता हुआ क्षीरमय स्वर्लयन,

सभ्यताओं के उदय एवं विनाश का शाक्षी ये गगन,

अचल,अमिट,स्थिर,दृढ़ सन्कल्पमय,

प्रकृति ईश्वर की कृति,

अनादि,अनंत,अभेद रहस्यमय।


रात्रि के आसमान में तारों का चित्रांकन,

भोर के आँगन मे सूर्य किरणों का रेखांकन,

धरा के तन पर सुशोभित

सरिताओं का अलंकरण ,


वृक्ष की शाख पर लताओं का

विनम्रशील अनुसरण,

अविराम, अविलंब,

अनवरत, तपस्यमय,


प्रकृति ईश्वर की कृति,

अनादि, अनंत, अभेद, रहस्यमय

अथाह सागर की बूँद का स्वर्णमय आसवन,

पर्ण के रंध्र से गहरी सांसो का आगमन,


श्रष्टि के गर्भ से चट्टान का उद्भवन,

पर्वत के ललाट पर हिमखंड से उत्कीर्णन,

अमर, अजर,ओम्ंकार, तेजस्मय,

प्रकृति ईश्वर की कृति,

अनादि, अनंत, अभेद, रहस्यमय।


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