परियों की कहानी
परियों की कहानी
हर रोज सुनती वो परियों की कहानी है,
खुद को भी उसी रंग में ढा़लती,
मानो खुद की ही बातें वो करती,
रूप सुंदर मन चंचल,
दीवानी वो परियों की,
हर वक्त सुनती रहती,
दादी नानी से परियों की कहानी,
मानो उसी दुनिया में रहना चाहती,
कहती मैं भी सुनाऊंगी अपने बच्चों को कहानी,
फिर हंस जाती और छुपा लेती अपना चेहरा,
सपने संजोती परियों जैसे,
पर कहां पता उसको ये दुनिया कैसी है,
पंख काट लिए उन सपनों के,
और बस कहानियों में अपनी दुनिया सजाई,
और एक दिन दुनिया सारी छोड़ वो चली गई।