STORYMIRROR

BABULAL KUSHWAHA

Tragedy

3  

BABULAL KUSHWAHA

Tragedy

कोरोना का कोहराम

कोरोना का कोहराम

1 min
210

सोच कर निकला था घर से 

कुछ बड़ा करूंगा काम

अभी अचानक बरस पड़ा

कोरोना का कोहराम


 थे रोड पर जो भीड़ लगते 

अब लोग नहीं घर से निकलते

2020 में लगी ऐसी लगी लगाम

 बस मिल रहा हर वक्त आराम


जो सोच कर सब रखे थे सपने 

हो सके ना 2020 में अपने

धीरे-धीरे साल बीत गया 

कोरोना हमसे जीत गया


जाकर निकला है अब वैक्सीन

सब थक चुके थे दिन गिन-गिन

ऐसा कभी ना आए साल

 जिसमें हो जाए जीवन बेहाल


अब ले रहा हूं पूर्ण विराम

2021 सब बीते खुशहाल



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy