जातिवाद का मायाजाल
जातिवाद का मायाजाल
मेरी रूह का एक हिस्सा छीन लिया ज़ालिमों ने,
केवल जाति-पाति के नाम पे।
अब खैर मनाए वो, जिन्होंने ये बंटवारा किया,
अपनी गलीची आन-बान-शान के लिए।
हाँ, हैं वो बेहतर तुमसे कई गुना ज्यादा,
कहा था न मैंने गलती करोगे तो बर्दाश्त नहीं करूँगी,
तो अब भुगतो आने वाला मंज़र।
सब जानना चाहेंगे उन महानुभवी स्त्रियों से,
जिन्होंने एक जानी-मानी दलित शिक्षिका को
एक ब्राह्मण छात्रा से केवल अपने स्वार्थ
और जातिवाद का शौक पूरा करने के लिए अलग कर दिया।
जातिवाद का मायाजाल,
किसी गंदी नाली के बदबूदार कीड़े की तरह जान पड़ता है।
मनुष्यता भले ही खत्म हो जाए
मगर ये जातिवाद के परलक्षित अहंकारी खत्म नहीं होते।
जाने कौन सा स्वर्ग नसीब होगा इन्हें,
जातिवाद को सहेज कर रखने के लिए?
फिलहाल तो ये अपनी इज्ज़त समेटे,
वरना सरेआम इज्ज़त नीलाम करने की नौबत आ जाएगी।
