परिंदा
परिंदा
लाख संभाल के
रखा उसे पिंजरे में
वो परिंदा है उड़ जाएगा।
चाहत में वो आसमान की
आंधिओं से भीड़ जाएगा।
चाहो तो जला दो उसे
वो माया पंछी है
अपनी राख से उठेगा।
लाख रोको उसे
पर वो तो परिंदा
है उड़ जाएगा।
लाख संभाल के
रखा उसे पिंजरे में
वो परिंदा है उड़ जाएगा।
चाहत में वो आसमान की
आंधिओं से भीड़ जाएगा।
चाहो तो जला दो उसे
वो माया पंछी है
अपनी राख से उठेगा।
लाख रोको उसे
पर वो तो परिंदा
है उड़ जाएगा।