कसूर
कसूर
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जीने का आखिर वजूद क्या?
की,
दफ़न कर दिए ख्वाहिशें कितनी की मेरी ख्वाहिशों का कसूर क्या?
रिवाजों की चादर ओढ़े जिल्लत को मंजूर किया की,
उन रिवाजों का मतलब क्या?
तूफां में साथ छोड़ चले गए वो नाम के रिश्ते सारे की
उन रिश्तों का वजूद ही क्या?
की मेरी ख्वाहिशों का कसूर क्या?
की मेरी ख्वाहिशों का कसूर क्या?