कहानी वही पुरानी..
कहानी वही पुरानी..
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एक था सोने का चिराग
एक थी मिट्टी की गुड़िया
एक को सजा के रखा था,
एक को छूपा कर
एक का मोल बहुत था
और दूसरा अनमोल था
बीत गई उनकी उम्र
फरक समझने में
बिक गई गुड़िया दो आने में।
जिस गांव में वो रहा करते थे
अब रहता है सन्नाटा
जमी तो बची नही परिंदों ने
आसमा तक बाँटा।
एक था सोने का चिराग
एक मिट्टी की गुड़िया
कहानी वही पुरानी सुनाएगी
पिंजरे में क़ैद वो पीतल की
चिड़िया।
