प्रीत पियु की
प्रीत पियु की
उजली सी एक बूँद अनमोल
सुगंधित सी मेरे लब पे ठहरी,
नींद खुली साजन को देखा
मन में उठी मस्ती की गगरी,
ओस घुली सुबह का साया
करवट पर वो उनका हाथ,
गेसू को मेरे सहलाता
चेहरा मेरा लाल गुलाल,
पियु की अठखेलियों का
साँसे देती खूब जवाब,
पालव की एक भीगी कोर
बिंदी बिखरी कर गई छोर
चूड़ीयों की खनखन से जागे,
साजन के एक मन का चोर
पायल की छन-छन से कोई
दिल की सरगम करवट बदले,
धड़कन धक-धक करती शोर
मन में मेरे प्रीत जगाएं हाय,
जब बनी पियु की प्रीत श्रृंगार
काजल लाली कजरा गजरा,
बिंदी पायल झुमके चुनरी
उतर गए सब अंग अनमोल,
शीत भोर की बेला हर गई
सुधबुध उनकी चोरी कर गई।