प्रेरणा
प्रेरणा
आज भी प्रेरणा है इतिहास में
और उम्मीद है भविष्य में
और हम जी रहे हैं वर्तमान में।
प्रेरणा और उम्मीद से
भरे हुये हैं हम अपने जीवन में,
हमारी सक्रियता की दिशा
और दशा इतनी
प्रक्रतिमय कभी नहीं थी
कभी हम प्रकृति के पुजारी थे,
आज प्रकृति हमें प्रेम कर रही है
और कितना त्रासद दृश्य है
मनुष्य होने का क़ि
हम प्रकृति का निकृष्टम स्तर पर
शोषण करने पर तुले हुये हैं
और प्रक्रति हमें
बेहद प्रेम कर रही है
हमे तो गीता में
कृष्ण कि वो पक्तियां दिख रही हैं
परित्रानाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम
धर्मस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।
प्रकृति हमसे कह रही है
नया महाभारत है
और तुम्ही कृष्ण हो
तुम्ही अर्जुन हो
तुम्हारी ही जीत होनी है।
