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Dr.rajmati Surana

Romance

3  

Dr.rajmati Surana

Romance

प्रेमिका

प्रेमिका

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तन्हाइयों में उकेरती हूँ दीवारों पर कुछ अनकही बातें, 

पूछ लेना कभी तुम आकर कैसे गुजरी हम बिन तुम्हारी रातें।


भ्रमरो की तरह तुम भी देख मुझे कितने बहकते रहे‌ थे,

प्रेमिका अपनी बना कर मुझे छिप छिप कर देखते रहे थे।


चाँदनी रात में झिलमिल सितारों से आकाश महकता था, 

गज़लों में मेरे प्यार का साज बजते ही दिल बहकता था।


तुम कहते थे मुझे तब तुम मेरे दिल पर राज़ करती हो,

निगाहें खुली रह जाती है जब तुम मेरे लिए सजती हो।


नजरें चुराकर तुम भी बन प्रेयसी मेरे सांसों में घुल जाती हो,

हल्की-सी मंद मंद मुस्कान से " राज "पर कयामत ढाती हो।


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