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सीमा शर्मा सृजिता

Romance

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सीमा शर्मा सृजिता

Romance

प्रेम

प्रेम

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वो प्रेम था 


हां! प्रेम ही तो था 

जब तुम्हें देखकर बज उठी थी

मेरी धड़कनों में सारंगी 


आते - जाते गली के मोड़ पर 

मुझे देखकर तुम्हारे मुस्कराने पर

वो अजीब सी खलबली 


तुम्हारा मेरी खिड़की के नीचे आना 

मेरा भीगी जुल्फों को सुखाना 

तुम्हें देखकर शर्माना 


हां ! वो प्रेम ही तो था 


जब मन्दिर की सीढ़ियों पर चलते 

टकराये तुम जानकर 

और मैं भी खुश थी 

तुम्हें ईश्वर से मांगकर 


तुम्हारे नाम को सुनकर ही 

जब दीवानी हो जाती थी 

तुम्हारे ख्यालों की दुनिया में 

मैं पूरी खो जाती थी 


वो तुम्हारी पहली बार 

बात करने की कोशिश में बड़बड़ाना 

टूटे फूटे शब्दों में ही 

दिल की बात बताना 


हां वो प्रेम ही था 

जब तुम बन गये थे सबसे खास 

सबसे खूबसूरत सबसे प्यारा 

था वो एहसास 


हां वो प्रेम ही था 

कि तुम्हारे दूर चले जाने पर भी 

सबसे करीब हो तुम 


हां वो प्रेम ही है 

कि अभी भी 

मेरी धड़कनों में हो तुम.. ....

   


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