प्रेम
प्रेम
ख़ुद को खोकर पाने का एहसास है प्रेम
उसके चेहरे के नूर में
आँखों के उजालों में,
होठों पर अटके हुए लफ़्ज़ों में!
उसके काँपते हाथों की छुअन में,
जिस्म की हरारत में
महसूस किया है मैनें प्रेम!
ख़ुद को खोकर पाने का एहसास है प्रेम
उसके चेहरे के नूर में
आँखों के उजालों में,
होठों पर अटके हुए लफ़्ज़ों में!
उसके काँपते हाथों की छुअन में,
जिस्म की हरारत में
महसूस किया है मैनें प्रेम!