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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Tragedy

5.0  

कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Tragedy

प्रेम तुमसे था और हमेशा रहेगा

प्रेम तुमसे था और हमेशा रहेगा

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हाँ मुझे अब किसी से नहीं है विवाह करना

अब नहीं किसी और के लिए मरना

चाहता तो बस एक तुझे था

चाहता तो तुझे अब भी हूँ

बस अब किसी और से नहीं है मुझे विवाह करना


प्रेम तुमसे था है और हमेशा रहेगा

तुम साथ हो या ना हो ये दिल तुझपे ही मरेगा

मुझे सबसे स्नेह है आदर है पर प्रेम तो तुमसे ही है

मेरी आरजू मेरे ख्वाब कसम से तुमसे ही है

एक बार बेकरार हुआ दिल अब नहीं बेकरार करना


मेरा प्रेम तो तुमसे है फिर दूसरे का कैसे होना

वक्त जब कभी आयेगा तो तुम मिलोगे यकीनन

खुदा के फैसले के आगे फिर क्यूँ बेकार में लडना

स्वीकार लिया है हर दर्द को अब बेकार में क्या कहना


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