प्रेम गीत
प्रेम गीत
मेरी तन्हाई को अंगारा बनाया न करो।
या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।
कितनी मुश्किल से सँभाला है आज फिर मन को।
तेरी यादों ने रुलाया है आज फिर मन को।।
ख़्वाब मिलने का मुझे ऐसे दिखाया न करो।
या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।
रेत तपती मेरे एहसासों की है धू-धू कर।
उसपे यादों की अगन जाती मुझे छू छू कर।।
इस क़दर जिस्म-ओ- ज़हन मेरा जलाया न करो।
या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।
खिड़कियां तेरे ही रस्तों को निहारा करतीं।
आहटें आने का जब-जब भी इशारा करतीं।।
मुझमें यूं ज्वार मुहब्बत का उठाया न करो।
या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।
रोज तुम कहते हो कल आके मिलूंगा तुमसे।
होके दुनिया में सफल आके मिलूंगा तुमसे।।
अपनी तक़दीर को इतना भी सताया न करो।
या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।
