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Nityanand Vajpayee

Classics Fantasy Inspirational

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Nityanand Vajpayee

Classics Fantasy Inspirational

प्रेम गीत

प्रेम गीत

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मेरी तन्हाई को अंगारा बनाया न करो।

या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।


कितनी मुश्किल से सँभाला है आज फिर मन को।

तेरी यादों ने रुलाया है आज फिर मन को।।

ख़्वाब मिलने का मुझे ऐसे दिखाया न करो।

या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।


रेत तपती मेरे एहसासों की है धू-धू कर।

उसपे यादों की अगन जाती मुझे छू छू कर।।

इस क़दर जिस्म-ओ- ज़हन मेरा जलाया न करो।

या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।


खिड़कियां तेरे ही रस्तों को निहारा करतीं।

आहटें आने का जब-जब भी इशारा करतीं।।

मुझमें यूं ज्वार मुहब्बत का उठाया न करो।

या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।


रोज तुम कहते हो कल आके मिलूंगा तुमसे।

होके दुनिया में सफल आके मिलूंगा तुमसे।।

अपनी तक़दीर को इतना भी सताया न करो।

या तो' आजाओ' या' फिर याद भी' आया न करो।।


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