गंगा अवतरण की बधाई
गंगा अवतरण की बधाई
विमल तरङ्ग लिए माँ गङ्गा, जग के कलि-मल हरने आई।
गङ्गा के अवतरण दिवस की, अखिल विश्व को अखिल बधाई।।
गौमुख से शिवजटा निवासिनि, फूट पड़ीं बनकर मृदुधारा।
और भगीरथ के पुरखों को, गंगासागर बनकर तारा।।
जग में बह कर अविरल निर्मल, जन तन-मन में शुचिता लाई।
गङ्गा के अवतरण दिवस की, अखिल विश्व को अखिल बधाई।।
सुधा लुटातीं जग सरसातीं, जीवन में मंगल की दाती।
सबको भवसागर के भय से, माँ गङ्गा उसपार लगाती।।
उसका जीवन धन्य हो गया, जिसने इनकी पदरज पाई।
गङ्गा के अवतरण दिवस की, अखिल विश्व को अखिल बधाई।।
भारत की पावनता इनसे , इनसे यह धरती पावन है।
इनकी अविरल निर्मल धारा, अतिशय निष्छल मनभावन है।।
लालन-पालन करतीं जग का, नैसर्गिक इनकी ममताई।
गङ्गा के अवतरण दिवस की, अखिल विश्व को अखिल बधाई।।
मुझ जैसे अगणित पतितों को, इतने पावन कर डाला है।
कलि-कल्मष की कुटिलाई में, मधुमय अमरित भर डाला है।।
आत्माओं की आध्यात्मिक गुरु, हैं यह मेरी गङ्गा माई।
गङ्गा के अवतरण दिवस की, अखिल विश्व को अखिल बधाई।।
सनातनी संस्कृति की द्योतक, राष्ट्र प्रगति का हैं तीर्थालय।
पृथ्वी जलाभिषिक्त इन्हीं से, ये चलता-फिरता देवालय।।
खेतों में हरियाली भरतीं, अन्न-उपज अभिसिंचनदाई।
गङ्गा के अवतरण दिवस की, अखिल विश्व को अखिल बधाई।।
