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Nityanand Vajpayee

Romance Inspirational

4  

Nityanand Vajpayee

Romance Inspirational

मदभरी

मदभरी

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गीत


मदभरी झील सी नीली हैं तुम्हारी आँखें।

मैकदों से भी नशीली हैं तुम्हारी आँखें।।


नाज़ो अंदाज़-ओ-अदा बिजली गिराती इनकी।

मुझको दीवाना वफाएं भी बनाती इनकी।।

शरबती शोख सजीली हैं तुम्हारी आँखें।।

मैकदों से भी नशीली हैं तुम्हारी आँखें।।


सातों सागर से जियादा हैं कहीं राज़ इनमें।

इतना कुछ कह के भी होती नहीं आवाज़ इनमें।

कातिलाना और चुटीली हैं तुम्हारी आँखें।

मैकदों से भी नशीली हैं तुम्हारी आँखें।।


नगमा-ए-इश्क को सुन सुन के तड़पती हैं ये।

याद दिलवर की सताए तो छलकती हैं ये।।

नील कंवलों सी रंगीली हैं तुम्हारी आँखें।।

मैकदों से भी नशीली हैं तुम्हारी आँखें।।


शोख रुखसारों की चिलमन में ज्यों कि दो हीरे।

दे के दीदार ज़माने को थके वो हीरे।।

इस क़दर तन्हा लजीली हैं तुम्हारी आँखें।।

मैकदों से भी नशीली हैं तुम्हारी आँखें।।



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