प्रेम-2
प्रेम-2
सुनकर उसकी आवाज़ खो गया हूँ मैं
उसके ही ख्याल में अब सो गया हूँ मैं
मन की आँखों से देखा मैने उसको
एक पल में उसका मुरीद हो गया हूँ मैं
उसकी साँसों की महक उतरने लगी हैं मुझमें
देखने लगा कुछ सपने उसकी आँखों मे
कदमों की आहट से दिल धड़कने लगा है
उसकी यादों में मेरा दिन ढलने लगा है
उसकी हँसी उसके मन का हाल कहती हैं
मेरे लड़खड़ाए हुए क़दमो को सहारा देती हैं
मेरी निराशा को एक नई आशा जो दे जाए
मेरी अंधेरी दुनिया को रोशनी जो दे जाए
जो बनकर मेरा सहारा जीवन भर दे साथ मेरा
रोशनी बनकर के गुज़रे जिंदगी का यह अंधेरा
वो मेरी ज़िंदगी में एक उम्मीद सी लाई हैं
जो क़भी नही गुज़रे एक शाम सी लाई हैं!