परछाईं से मुलाकात
परछाईं से मुलाकात
आज ललिता से बात हुई तो लगा जैसे
किसी ने मुझे मेरे हालातों का आईना दिखा दिया हो,
इस भीड़ भरी दुनिया में जैसे किसी अपने से अचानक मिला दिया हो।।
उसकी बातें सुनी तो ऐसा लगा जैसे, किसी ने मेरी ही कहानी का मुझे किस्सा सुना दिया हो,
एक गरीब बाप की सबसे बड़ी बेटी होने का जैसे उसने एहसास सा करा दिया हो,
और अपनी व्यथा बताकर जैसे उसने मेरे घावों पर राहत भरा मरहम लगा दिया हो।।
मैं डर रही थी जो बात उसे कब से बताने को उसी बात को बड़े आराम से बताकर उसने मेरे मन को सहला दिया हो।।
आज ललिता से बात हुई तो इस लगा जैसे उसने मुझे मेरे हालातों का आईना दिखा हो।।