STORYMIRROR

Bhavna Sharma

Tragedy

4  

Bhavna Sharma

Tragedy

न जाने वो कोन सी कविता हाेगी

न जाने वो कोन सी कविता हाेगी

1 min
233

न जाने मेरी वो कोन सी कविता होगी

जो मुझे एक कवयित्री का दर्जा प्राप्त कर वायेगी....

जो मुझे एक छोटे से तबके से निकाल कर

हजारों लाखों लोगों के बीच में

खड़ा होने का साहस दिलवायेगी।।

न जाने मेरी वो..........


बिना कुछ कहे वो उन सब लोगो को

एक जवाब दे पाएगी...

जो मुझ से ये कहते हैं की तू

कविताएं लिख कर क्या हासिल कर पाएगी।।

न जाने मेरी वो......


जो मुझे खुले आसमान में चीरती हवाओ के बीच में

आजाद पतंग सा उड़ाएगी...

न जाने मेरी वो कोन सी कविता होगी जो मुझे

एक कवयित्री का दर्जा प्राप्त कर वायेगी...।


जो मुझे हंसाएगी और हंसते हंसते

मेरी आंखों में खुसी के 

आंसू भी लाएगी और मेरे मन के सारे

बोझ को एकदम से हल्का कर जाएगी।


न जाने मेरी वो कोन सी कविता होगी

जो मुझे एक कवयित्री का दर्जा प्राप्त कर वायेगी.......

जो मेरे सपनो की बंजर जमीन में बारिश की बूंदों की

चादर सी ढक जाएगी और मेरे सपनो को आजाद पंछी सा उड़ाएगी


न जाने मेरी वो कोन सी कविता होगी

जो मुझे एक कवयित्री का दर्जा प्राप्त कर वायेगी......

जो मेरे डगमगाते हुऐ कदमों में जान सी भर जाएगी

और मेरे इरादो को चट्टान सा मजबूत बना जाएगी।


न जाने मेरी वो कोन सी कविता होगी जो मुझे

एक कवयित्री का दर्जा प्राप्त कर वायेगी।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy