"गुरुजी"
"गुरुजी"
आपका नखशीख वर्णन शायद ही मैं कर पाऊं,
इसलिए आपको शब्दों से तराशने की कोशिश की है।।
एक नवागत आदित्य हो आप मेरे जीवन का,
आप को निर निमेष सुनने , समझने की कोशिश की है।।
आप मेरे तीर्थंकर हो, एक खुशनुमा एहसास हो ।
इसलिए आपको अपने जज्बातों के जरिए तलाशने कोशिश की है।।
आप एक खुली रहस्मय किताब हो,इस किताब के हर एक रहस्य
को धीरे धीरे आप ही के जरिए जानने की कोशिश की है।।
आप जवाब हो मेरे हर एक सवाल का, एक शुलझी हुई पहेली हो,
एक गहरा समुद्र हो, इस समुद्र की गहराई में उतरने की कोशिश की है।।
खुला आसमान हो एक आदर्श स्वरूप का,
एक सुंदर सोच का आप प्रमाण हो इसलिए
आपको अपने जीवन में सहर्ष स्वीकारने की कोशिश की है।।