शराब की शराफत
शराब की शराफत
शराब की शराफत तो देखो,
यू बहकती हुईं आई मेरे पास,
और कहा की मै ,
अपने ही सबाब में झूम रही हूं
और तू है की खुद को गवा बैठा है मुझे,
और मै फिर भी जगह बना बैठी हु तेरे घर ,तेरे दिल और तेरे दिमाग में।।
मै दर्द कम और ज्यादा दवा हू,
और अगर तूने मुझे छोड़ दिया तो मै तुमसे खफा हूं,
मुझे रोज ले अगर ना मिली तो दर बदर खोज ले,
मै ही तेरे हर एक दर्द की इकलौती ग्वाह हूं,
और अगर फिर भी तुझे बेवफाई मिले किसी से तो मेरे पास आ ,
मैं तेरे लिए उम्र भर की वफा हूं।।
मुझे गिलाश में न देख ,
न देख मुझे तू अंगूर में,
मैंने अच्छे अच्छे रिश्तों को तबाह किया है,
अगर विश्वाश न हो तो देख मुझे,
माथे के पूछे हुए उस सिंदूर में।।
मुझे यु गिरती हुई नजरो से न देख तू,
मैं गिरा दूंगी तुझे तेरे अपने ,तेरे समाज से
मेरा रिशता हर एक मजहब हर एक समाज से है,
एक देश से हर एक मुल्क की सरहदो से है,
मै फर्क करती नही गरीब और अमीर में क्या मेरा आना जाना
है एक गहरा से है।।
मुझे कम न समझ और न ही मुझे खुदा का दर्जा दे यू,
तेर भला इसी में है की मुझे अपनी जिंदगी से निकाल फेक और
समाज को यही सलाह दे तू।।