पोषण
पोषण
जश्न प्रतियोगिताओं में सीमित।
प्रकृति का दोहन हो रहा असीमित।
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50 न सही ,
20 पौधों से तो क्यारियां सजाना जरूरी है।
फरिश्ते न बने न सही।
इंसान रहना लेकिन जरूरी है।
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पोषण की सोच से शोषण खत्म होगा।
प्रकाश में अंधेरे का क्या अस्तित्व होगा।
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शत्रु का प्रहार, छिन्न-भिन्न संसार।
प्रेम से आत्मसात, प्रकाश पुंज संसार।
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गर पोषित है संसार नेक विचारों से।
रोशन होगी झोली नव उत्थानों से।
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जान ही नहीं पहचान भी लो।
अखंड भारत को नई उड़ान दो।
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पोषण सोचेंगे तो शोषण बंद होगा।
प्रकाश अंधेरों को सोख लेगा।
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