पंक्ति
पंक्ति
अब पंक्तियां भी बदल गयी है जमाने के साथ।
शब्द, छंद, दोहा और मात्राएँ इत्यादि मायने नहीं रखती।
आजकल की कविता, शायरी, और कहानी की पंक्तियों में।
जो मन में आये लिखते जाओ बस भीड़ जुटाकर वाहवाही बटोरते जाओ।
पंक्तियों में खड़ा और नियमों का पालन करता व्यक्ति
सदैव पीछे रह जाता हैं।
जिसने चापलूसी की और थोड़ा सोर्स लगाया वो आगे निकल जाता है।
और पंक्तियों में खड़ा व्यक्ति देखता रह जाता है।