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Tanuja Shukla

Inspirational Others

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Tanuja Shukla

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पंचम वेद संविधान

पंचम वेद संविधान

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चौराहों और तिराहों पर, 

एक मूर्ति खड़ी दिखती अक्सर! 

मोटी सी पोथी हाथ लिये, 

संकेतित करती नव अवसर! 


बाबा साहब की उठी तर्जनी, 

इंगित करती कुछ रत्न प्रति !

गणतंत्र दिवस संदेश सुना ,

जाग्रत करती नव चेतन प्रति! 


अरे आज हम सबने ही, 

अनमोल रत्न विधिवत पाया! 

बन गये पूर्ण सत्ताधारी ,

जन जन ने वांछित वर पाया !


लिंकन साहब की परिभाषा ,

कर रहा सत्य यह संविधान !

बड़े और छोटे का अंतर ,

मिटा रहा यह संविधान !


हम शासित भी हम शासक भी, 

हम स्वामी भी हम सेवक भी !

जो सोचेंगे कर सकते वह,

हम थिंकर भी प्रायोजक !


हाँ याद सदा रखना होगा,

यह धरती है सबकी माता !

कोई हलधर कोई मुरलीधर,

लेकिन... दोनों सच्चे भ्राता !



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