संगीत पूजा है
संगीत पूजा है
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सामवेद में समाहित है संगीत सारा
संगीत से जीवन में उल्लास है ,
सप्त स्वर सुरों से सजी रागिनीहै
छेड दे तान कोई वाद्य यंत्रो में
हो पूरा समा गुँजाय मान सा
प्रकृति में भी गूँजे स्वर रागिनी के
कण कण में बसता संगीत धरा पर
आम के पेड पर जब बौर आये
कोयल भी कूके मद मस्त होकर
नदियों की कल कल मन को है भाती
झरने भी बहते हैं लयबद्ध होकर
ऐसा समा देख अपलक निहारूँ
प्रकृति के नजारे हर सय में दिखते
भला कौन रह पाये इनसे अछूता
मेरी आत्मा संगीतमय है
संगीत ही मेरा जीवन संगीत ही प्राण है..