पंचम का सूर
पंचम का सूर
तेरा ही ईन्तज़ार कर रहा हूं मै,
तूं वादा कभी निभाती नहिं,
तेरे ईश्कमें तड़पता रहेता हूं मै,
तूं ईश्ककी प्यास मिटाती नहिं।
तेरी तस्वीर मेरे दिलमें बसी है,
तूं झांखकर कभी देखती नहिं,
बांहें फैलाकर खडा रहा हूं मै,
बांहोंमें कभी तूं समाती नहिं।
महफ़िल जमाना चाहता हूं मै,
तूं ईश्ककी शराब बनती नहिं,
दिल का मैखाना खोलता हूं मै,
तूं मेखानेमें शोर मचाती नहिं।
तेरी गज़ल गाना चाहता हूं मै,
तूं ईश्कका राग बनती ही नहिं,
सूर मिलाना चाहता हूं "मुरली",
पंचम का सूर कभी बनती नहिं।