STORYMIRROR

Sonia Chetan kanoongo

Romance

4  

Sonia Chetan kanoongo

Romance

ख्वाहिशों का समन्दर

ख्वाहिशों का समन्दर

1 min
170

पत्र जो लिखा,पर भेज ना पाए

सोचा शब्दों की भाषा ,वो आँखों से समझ जाएं

कैसे समझाए दिले नादान को

कोई मर्ज़ हो जिससे दिल बहल जाए

पत्र जो लिखा वो भेझ ना पाए।


दिल के जज्बातों को समझा बुझा कर ,

प्यार की कलम को उसमें डूबा कर,

इन हाथों को लिखने पर मजबूर कर आये।

उनके सामने आते ही नजरें जो ना मिला पाए।

पर हाँ ये भी तो सच था, ये दिल उनके हवाले कर आये 

पत्र जो लिखा, पर भेज ना पाए।


ख्वाहिशों का समंदर तो,

उनका ताउम्र साथ पाना था,

किस्मत की लकीरों को,

उनतक मोड़ लाना था,

पर सजा देकर खुद को, बेबस लौट आये

पत्र तो लिखा पर भेज ना पाए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance