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Alka Soni

Romance

4  

Alka Soni

Romance

खत

खत

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मेरे जीवन में उसका आना

मानो नए वसंत का आना।


मन के शांत सागर का मचलना,

भावों की लहरों का उमड़ना।


तब कहाँ था इतना खुलापन,

तकनीकी सुविधाएं और साधन।


अपनी बातें कभी कह नहीं पायी,

खत लिखे मगर भेज नहीं पायी।


संकोच,लाज़ के पहरे ने रोक लिया,

संस्कारों ने मुझको बढ़ने से रोक दिया।


आज भी रखे हैं, खत वो छुपाकर,

मन के सन्दूक में कहीं दबाकर।


कभी जो मिले किसी मोड़ पर,

दे दूंगी तुम्हें वहीं, सन्दूक खोलकर।


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உள்நுழை

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