मुखालफत उन रिवाजों की जिनसे हम, हम हैं। मुखालफत उन रिवाजों की जिनसे हम, हम हैं।
कोई बेड़ी नहीं थी और न ही हाथ में हथकड़ी। कोई बेड़ी नहीं थी और न ही हाथ में हथकड़ी।
कुछ मन की करें तो" सुनने को मिले" ये नही है तुम्हारा घर कुछ मन की करें तो" सुनने को मिले" ये नही है तुम्हारा घर
कभी जो मिले किसी मोड़ पर, दे दूंगी तुम्हें वहीं, सन्दूक खोलकर। कभी जो मिले किसी मोड़ पर, दे दूंगी तुम्हें वहीं, सन्दूक खोलकर।
तोड़ दें आज संकोच की बेड़ियाँ... तोड़ दें आज संकोच की बेड़ियाँ...
पत्नी से कुछ बार ही कहा होगा, मैं तुमको बहुत चाहता हूँ अब जितनी बार भी मौका मिले, हर बार ये कहना ब... पत्नी से कुछ बार ही कहा होगा, मैं तुमको बहुत चाहता हूँ अब जितनी बार भी मौका मि...