Sandeep Saras
Inspirational
आप संकल्प के नव्य मानक गढ़ें,
रूढ़ि के वक्ष पर पाँव धर कर चढ़ेंI
तोड़ दें आज संकोच की बेड़ियाँ,
आप आगे बढें, हम भी आगे बढेंI
भगवान बेचता ह...
खेल जिंदगी है
पाठशाला में र...
तू मुझे सम्भा...
तुम्हारी नींद...
नहीं बचे यदि ...
यह मतदान हमार...
ढूँढते रह जाओ...
अरमान तिरंगा ...
पेड़ हमको देते है छाया जिससे प्रभावित होती है हमारी काया पेड़ हमको देते है छाया जिससे प्रभावित होती है हमारी काया
छोड़ के इस स्वर्णिम क्षण को आतीत की यादों में उलझे हो छोड़ के इस स्वर्णिम क्षण को आतीत की यादों में उलझे हो
पढ़ लिखकर कुछ बन दिखाएंगे देश का नाम ऊंचा करेंगे। पढ़ लिखकर कुछ बन दिखाएंगे देश का नाम ऊंचा करेंगे।
नारी क्या हो तुम, दुनिया से बोल दो नारी क्या हो तुम, दुनिया से बोल दो
रूपवा तोहार देवी खूब चम चम चमकेला मनवा हमार बिना तोहरे डह डह डहकेला रूपवा तोहार देवी खूब चम चम चमकेला मनवा हमार बिना तोहरे डह डह डहकेला
जिसे है इल्म ताजी हवा की उसको सही वो जानता है ! जिसे है इल्म ताजी हवा की उसको सही वो जानता है !
दौड़ कर मैं आऊंगा आ बहिन आशीष दे जल्दी बड़ा हो जाऊंगा दौड़ कर मैं आऊंगा आ बहिन आशीष दे जल्दी बड़ा हो जाऊंगा
जब से मेरी उम्मीदों ने मेरे दिल को छुआ है, मुझे ख़ुद से इश्क़ हुआ है। जब से मेरी उम्मीदों ने मेरे दिल को छुआ है, मुझे ख़ुद से इश्क़ हुआ है।
जब अपना आत्मसम्मान खोया तो समझ आया, खुदको सबसे कम आंकना गलत ही तो था ! जब अपना आत्मसम्मान खोया तो समझ आया, खुदको सबसे कम आंकना गलत ही तो था !
मेरी राखी की इतनी सी लाज रखना मेरी नन्ही परी मेरी नन्ही परी। मेरी राखी की इतनी सी लाज रखना मेरी नन्ही परी मेरी नन्ही परी।
भीतर बाहर की सब मस्ती लिक्खी मेरे नज़्म सखी। भीतर बाहर की सब मस्ती लिक्खी मेरे नज़्म सखी।
पिता वह शख्स होते जो कभी भी अपने बच्चों के लिए दिखावा नहीं करते, पिता वह शख्स होते जो कभी भी अपने बच्चों के लिए दिखावा नहीं करते,
कई नींव ऐसी भी रही जो वर्षों जमाने की धूल खाती रही किन्तु कई नींव ऐसी भी रही जो वर्षों जमाने की धूल खाती रही किन्तु
मेरी लेखनी भी जब झुक कर लिखती है मां का नाम यूं लगता उस वक्त हो गए मेरे चारोधाम। मेरी लेखनी भी जब झुक कर लिखती है मां का नाम यूं लगता उस वक्त हो गए मेरे चारोध...
भाव-मोह के परे जो है, बस वही एक सच्चाई है। भाव-मोह के परे जो है, बस वही एक सच्चाई है।
हाँ मैं बिल्कुल ऐसी हूँ मैं अब जैसे को तैसी हूँ ! हाँ मैं बिल्कुल ऐसी हूँ मैं अब जैसे को तैसी हूँ !
पत्थर रख कर छाती पर वह सब दुख दर्द सह जाता है, वो अन्नदाता है जिसका सपना सपना ही रह जा पत्थर रख कर छाती पर वह सब दुख दर्द सह जाता है, वो अन्नदाता है जिसका सपना सपना...
ऐसी दिखाई वफादारी, सदियों तक गूंजेगी चेतक तेरी किलकारी ऐसी दिखाई वफादारी, सदियों तक गूंजेगी चेतक तेरी किलकारी
देखा जाए तो इसके सामने छोटा पड़ जाए पूरा आसमान। देखा जाए तो इसके सामने छोटा पड़ जाए पूरा आसमान।
ग़ज़ल में तुम्हारे नाम के सिवा कुछ आता नहीं है। ग़ज़ल में तुम्हारे नाम के सिवा कुछ आता नहीं है।