Sandeep Saras
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दूर हमसे रहोगे चैन कहां पाओगे।
तुम अकेले में मेरे गीत गुनगुनाओगे।
गुज़र गया जो वक्त हाथ कहां आएगा,
हम चले जाएंगे तो ढूंढते रह जाओगे।
भगवान बेचता ह...
खेल जिंदगी है
पाठशाला में र...
तू मुझे सम्भा...
तुम्हारी नींद...
नहीं बचे यदि ...
यह मतदान हमार...
ढूँढते रह जाओ...
अरमान तिरंगा ...