संस्थापक /संयोजक---साहित्य सृजन मंच
बैठा है मन्दिरों में भगवान बेचता है। बैठा है मन्दिरों में भगवान बेचता है।
सच मानिए ! जिन्दगी ऐसे ही खेलकर जीती जाती है यकीनन। सच मानिए ! जिन्दगी ऐसे ही खेलकर जीती जाती है यकीनन।
श्याम-पट्टों की जगह बर्तन भगौने हो गए हैं। श्याम-पट्टों की जगह बर्तन भगौने हो गए हैं।
अपनी मोहब्बतों के साँचे में ढाल लेना। अपनी मोहब्बतों के साँचे में ढाल लेना।
खिड़की से झाँकता था बदमाश चाँद रोज़ देखता था तुम्हारी अठखेलियां..! खिड़की से झाँकता था बदमाश चाँद रोज़ देखता था तुम्हारी अठखेलियां..!
सबसे बड़ा सवाल, भूख से प्यास बड़ी है। सबसे बड़ा सवाल, भूख से प्यास बड़ी है।
जिन्दगी ऐसे ही खेलकर जीती जाती है यकीनन। जिन्दगी ऐसे ही खेलकर जीती जाती है यकीनन।
लोकतंत्र के महापर्व का आओ हम सम्मान करें। लोकतंत्र के महापर्व का आओ हम सम्मान करें।
गुज़र गया जो वक्त हाथ कहां आएगा, गुज़र गया जो वक्त हाथ कहां आएगा,
हम सबके जीवन का अभिमान तिरंगा है। हम सबके जीवन का अभिमान तिरंगा है।