ज़िन्दगी अभी बाकी है
ज़िन्दगी अभी बाकी है
ज़िन्दगी हर पल यूं ढलती है, जैसे मुट्ठी से रेत निकलती है
ये ज़िन्दगी जैसी भी है लेकिन, बस एक ही बार मिलती है
खुले आसमान में उडना बाकी है, कुछ नहीं करना बाकी है
एक उम्र तो हम जी चुके हैं, मगर सफ़र अभी भी बाकी है
अब तक जीवन था उनके लिये, जो मेरे लिये ही सब कुछ थे
जिनके लिये मैं सब कुछ हूँ, अभी उनके लिये जीना बाकी है
आज तक निभाये कई वादे, लेकिन खुद से निभाना बाकी है
नेकी तुला पर तुले ना तुले, दामन के दाग मिटाना बाकी है
पत्नी से कुछ बार ही कहा होगा, मैं तुमको बहुत चाहता हूँ
अब जितनी बार भी मौका मिले, हर बार ये कहना बाकी है
संकोच की अब कोई वजह नहीं, भूलों को सुधारना बाकी है
जिंदगी दोबारा नहीं मिलेगी, मिलके ख़ुशियाँ मनाना बाकी है
इज़हार मोहब्बत करने को, अभी गोविन्द से मिलना बाकी है
वक़्त ने सिखाया जो अब तक, अभी अमल में लाना बाकी है
आजतक की सारी गलतीयों का, अभी टैक्स चुकाना बाकी है
मिट्टी से बने हैं हम इन्सान, मिट्टी में मिल जाना बाकी है
जो दिल चाहे बस वही करें, अभी खुद को समझाना बाकी है
इस दिल में आज भी बच्चा है, नसीहतों को तोड़ना बाकी है
कुछ निगाहों में चढ़ना बाकी है, कुछ दिल में उतरना बाकी है
‘योगी’ एक नयी पहचान बाकी है, ज़िन्दगी से इश्क बाकी है