पिता
पिता


घर की रहती शान पिता से
इज्जत और सम्मान पिता से
जब जब संकट बादल छाये
मिलता है निदान पिता से।
बच्चों के अरमान पिता है
बच्चों का आसमान पिता है
पिता न होता कोई न होता
हम सब की पहचान पिता है।
संतान संजोए रखती अपने
पिता से, सब पूरे हो सपने
पिता बिना ये जगत पराया
पिता से है जग वाले अपने।
तो भी मोम सा नर्म पिता है
परिवार के दुख-दर्द पर
लगने वाला,मरहम पिता है।
बेचैनी में वो जब होता है
अकेला चुपके से रोता है
मन चिंता में डूबा रहता
पिता चैन से कब सोता है?
वो रूखी सूखी खा लेता है
फटे पुराने वस्त्र पा लेता है
घर पर कोई आँच न आए
खुद को दांव पे ला देता है।
जिससे दुनिया बस्ती है जी
जिससे मां भी हंसती है जी
जिससे ये सब मस्ती है जी
पिता ही वो इक हस्ती है जी ।
पिता तो देता ही देता है
बदले में कब क्या लेता है ?
हर्षित हो संतान सर्वदा
सदा दुआएं ही देता है।
पिता से ही हर मौज है अपनी
दुनिया की हर भोज है अपनी
पिता है परम-पिता की मूरत
ईद दीवाली रोज है अपनी।