ओस की बूंदें*
ओस की बूंदें*
*ओस की बूंदें*
प्रात,सैर
करते समय
ओस की कुछ बूंदें
अरबी के पतों पर
दिखाई पड़ी।
बार-बार निहारे
बूंदों का भार
उठाये हुए
अरबी के पत्ते।
छूने मात्र से गए हैं
एक ओर झुक गये,
हो गयी कोशिश बेकार
पत्तों से
उन बूंदो को
हटाने की।
हाथ आगे बढ़े ही थे
कि बूंदें उछल पड़ी
हाथों की ओर,
और बिखर गई
अगली सुबह आने तक।
*एस.दयाल सिंह
