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S.Dayal Singh

Abstract

4  

S.Dayal Singh

Abstract

मैं कुछ कहूं-3

मैं कुछ कहूं-3

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(1)

कितनी बड़ी

लाचारी है,

साक्षरता पर

निरक्षरता भारी है।

(2)

अनपढ़ 

हुकुम चलाता है,

पढ़ा-लिखा

हुक्म सुनाता है।

(3)

पड़ोस में

क्यों सुख है,

मुझको यही 

तो दुख है।

(4)

ईमानदारी सबसे

अच्छी 'नीति' है,

इसी में तो

राजनीति है।

(5)

काटने वाला, 

भौंकता नहीं है।

लूटने वाला,

सोचता नहीं है।

(6)

जख़्म बेशक

हरे नहीं है

पर अभी तक

भरे नहीं है।

(7)

चोर में 

जोर है

ईमानदार 

कमजोर है।

(8)

क्या पढ़ना है 

क्या पढ़ाना है

बच्चे बोलते हैं अब 

कम्प्यूटर का जमाना है।

(9)

 पैर में मोच हो

नकारात्मक सोच हो

आदमी आगे बढ़ नहीं सकता

अगली सीढ़ी चढ़ नही सकता।

(10)

किसने सोचा था

आज दृष्य ऐसा होगा,

रब्ब ही जाने अब 

भविष्य कैसा होगा ?

--एस.दयाल.सिंह--



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