कसूर बनाम दस्तूर
कसूर बनाम दस्तूर
दूसरी क्लास में एक बच्चे ने
जब दूसरे की दवात चुराई थी,
मुझ पे चोरी का आरोप लगा
मास्टर जी ने खूब की पिटाई थी।
मैं सौ प्रतिशत बेकसूर था,
मास्टर जी का यही दस्तूर था।
जब मुझको महसूस हुआ था
तब मैं बहुत मायूस हुआ था।
छठी कक्षा वाले मास्टर जी ने
तो कमाल कर दी ,
किसी और के प्रश्न का उत्तर देने पे
डंडो से मेरी पीठ लाल कर दी।
मैं सौ प्रतिशत बेकसूर था,
मास्टर जी का यही दस्तूर था।
जब मुझको महसूस हुआ था
तब मैं बहुत मायूस हुआ था।
नवीं कक्षा में मास्टरनी जी
एक प्रश्न पे अड़ गई थी,
हल बताने पर छड़ी लेकर
मेरे पीछे ही पड़ गई थी।
मैं सौ प्रतिशत बेकसूर था,
बहनजी का यही दस्तूर था।
जब मुझको महसूस हुआ था
तब मैं बहुत मायूस हुआ था।
कालेज में पढ़ाई का अलग नज़ारा था,
मास्टर से ज़्यादा किताबों का सहारा था।
मास्टर जी ने पढ़ने का नुक्ता बताया था,
सौ में ट्यूशन पढ़ने का दबाव बनाया था।
मेरे पास पैसा नहीं था,
मुफ्त पढ़ाये मास्टर जी ऐसा नहीं था।
जब मुझको महसूस हुआ था
तब मैं बहुत मायूस हुआ था।
विश्वविद्यालय ने निखार ला दिया
जीवन जीने का हुनर सिखा दिया।
समस्या सुलझाने में बड़ा आनंद था
बीता वहां हर पल बड़ा ही बुलंद था।
क्यों होती है विचारों में बग़ावत
क्या होती है विचारों की जंग
"दाल में कोड़कू" क्यों होते हैं ?
समझ आ गयी थी कहावत।
तब मैं मायूस नहीं हुआ था।
तब मैं मायूस नहीं हुआ था।
कोटान-कोट नमन पढ़ना सिखाने वालो !
जीवन पथ पे आगे बढ़ना सिखाने वालो!
मज़बूर की मज़बूरी ज़रूर समझना
मज़बूर की मज़बूरी ज़रूर समझना।