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S.Dayal Singh

Abstract

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S.Dayal Singh

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बात कर

बात कर

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न जब की बात कर

न तब की बात कर

तू आज की बात कर

तू अब की बात कर।

किस का हाथी किस का घोड़ा

किस ने किस का घर क्यूं तोड़ा।

किसने किस का था पथ रोका

किस ने किस को युद्घ में झोका।

तेरी बातें तेरे मसले 

हमसे हम की बात कर। 

उस युग में नाइंसाफ़ी थी

उस युग में वादा ख़िलाफी थी।

वो अंधा युग था बीत गया

वो मंदा युग था बीत गया।

कन्या धरती में दबा दी जाती थी

नारी दांव पर लगा दी जाती थी।

अबला को उठा लिया जाता था

सबला को सता लिया जाता था।

उस युग में बड़ी ज़लालत थी

उस युग में बड़ी ज़हालत थी। 

विधवा को अधिकार कहां था ?

सधवा से भी प्यार कहां था ?

सूर्य धरा का चक्कर लगाता था

धरती सींग पर बैल उठाता था।

उस युग की जो भी कहानी थी 

लोगों ने सच्च कर मानी थी।

उस युग से तूने क्या सीखा ? 

उस युग को तूने क्या जाना ? 

उस युग से तूने क्या पाया ?

उस युग को तूने क्या माना ?

छोड़ दे उस युग की बातें

अब तू सब की बात कर। 

न जब की बात कर

न तब की बात कर

तू आज की बात कर

तू अब की बात कर।


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