पिता और भाई
पिता और भाई
पापा के जाने के बाद भी
उनके होने का एहसास कराते हैं।
वो भाई हैं जो पिता बनकर
अपना हर फर्ज निभाते हैं।
जब भी मिलों वो बचपन की
यादों मैं लेकर जाते हैं।
खुद ही चिढ़ा कर खुद ही
पापा की तरह प्यार से गले लगाते हैं।
अपने बच्चों को बचपन के
किस्से हजार सुनाते हैं।
कहते थे जो पहले कि तेरी वजह से
मेरे हिस्से पापा का प्यार कम आता हैं।
अब वो अपने हिस्से का प्यार भी
यूँ ही मुझपर लुटाये जाते हैं।
वो भाई हैं जो पिता बन
मायके में बचपन सी खुशी देते हैं।