Rekha Shukla
Drama Romance
पंख लगाके छत पे चढ़ गईं
अंदर से बंध कर लूँ सपनों के पिंजर को।
ज़ख़मी सांसे ...
माँ
रूठे
शब्द
एक लम्हां सो ...
पायल
ख़ुदा
रंग कलम से बे...
सैयो
ओ' परवर दिगार...
जीतेगा आज जरूर ही भारत, विश्वकप करोडों दुआओं में होती बहुत ही ताकत। जीतेगा आज जरूर ही भारत, विश्वकप करोडों दुआओं में होती बहुत ही ताकत।
बस प्रेम ही से नहीं होता प्रेम अक्सर खेल ही होता रहता है बस प्रेम ही से नहीं होता प्रेम अक्सर खेल ही होता रहता है
मैं एक बूँद और ये मेरा सफर...! मैं एक बूँद और ये मेरा सफर...!
उसकी परछाई संग चलने लगा था, वसुंधरा पर रहने वाला उसकी परछाई संग चलने लगा था, वसुंधरा पर रहने वाला
साथ साथ खाना खिला दे, सोच सोच कर वह मेरी बच्ची, सारी रात रोती रही.... साथ साथ खाना खिला दे, सोच सोच कर वह मेरी बच्ची, सारी रात रोती रही....
तुमको देखे बिना मेरी रातें, खयालों में ही बीत जाती है। तुमको देखे बिना मेरी रातें, खयालों में ही बीत जाती है।
कोई ना था, बस आदत थी कोई ना था बस आदत थी... कोई ना था, बस आदत थी कोई ना था बस आदत थी...
जी हाँँ, यहाँ बेशक़ एक-से-बढ़ के एक बहुरूपिये मिल जाते हैं, जी हाँँ, यहाँ बेशक़ एक-से-बढ़ के एक बहुरूपिये मिल जाते हैं,
ऐसा दिल जानी चाहिए, मेरी रुह को एक मकान चाहिए।। ऐसा दिल जानी चाहिए, मेरी रुह को एक मकान चाहिए।।
कोई मेरी सफलता की राह में कांटे बिछाए। मैं केवल इस ईर्ष्या की भावना से डरता हूं। कोई मेरी सफलता की राह में कांटे बिछाए। मैं केवल इस ईर्ष्या की भावना से डरता ह...
कि, हो सकता है प्यार शादी के बाद भी और जिया जा सकता है , तुम्हारे बाद भी।। कि, हो सकता है प्यार शादी के बाद भी और जिया जा सकता है , तुम्हारे बाद भी।।
ऐ दोस्तों ये अपनी दोस्ती, तो कई दशकों पुरानी है….. ऐ दोस्तों ये अपनी दोस्ती, तो कई दशकों पुरानी है…..
ये कैसा दस्तूर है ? खुद को हार कर जीतना पड़ता है….. ये कैसा दस्तूर है ? खुद को हार कर जीतना पड़ता है…..
मैं इस देश का जवान हूँ...! मैं इस देश का जवान हूँ...!
और अभी भी तुम मेरे लिए अनजान ही हो। और अभी भी तुम मेरे लिए अनजान ही हो।
क्यूं बारिश मेरे आंगन से गुज़रे है, क्यूं ये मौसम सफेद कोरे से है।। क्यूं बारिश मेरे आंगन से गुज़रे है, क्यूं ये मौसम सफेद कोरे से है।।
उसी कीचड़ में उगा दो कमल फूलों के बाग। उसी कीचड़ में उगा दो कमल फूलों के बाग।
जिंदगी, बहुत बड़ी है, सिर्फ आनंद, लेते जाओ...! जिंदगी, बहुत बड़ी है, सिर्फ आनंद, लेते जाओ...!
है,ना जाने हमारी ज़िंदगी में भी कभी खुलकर जीना लिखा भी या नहीं। है,ना जाने हमारी ज़िंदगी में भी कभी खुलकर जीना लिखा भी या नहीं।
हरि बसे जिस जन मन में, सो तन-मन हरि ही कहायी भजो रे मन, हरि एक नाम महा सुखदायी….. हरि बसे जिस जन मन में, सो तन-मन हरि ही कहायी भजो रे मन, हरि एक नाम महा सुखदाय...