फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो
फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो
फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो,
रेत की मुट्ठी बनाना छोड़ दो।
हो नहीं सकता जहाँ दिल से मिलना,
हाथ ऐसों से मिलाना छोड़ दो।
बाग में अपने रहो कोयल बन के,
गैर की तुम धुन में गाना छोड़ दो।
जान जाओ ज़िंदगी की गहराई,
बाप की दौलत उड़ाना छोड़ दो।
आँख रोती हो किसी की बारिश सी,
यूँ किसी को तुम सताना छोड़ दो।
होंठ सिल दे ग़म कभी हावी होकर,
ये न हो के मुसकुराना छोड़ दो।
ख़्वाब में भी भूल जाना 'सरु' उसको,
और आगे दिल लगाना छोड़ दो।