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Govind Narayan Sharma

Romance

4  

Govind Narayan Sharma

Romance

फूल की महक

फूल की महक

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कैसे जीता हूँ तेरे दिये दर्द को तुम क्या जानो

बिन तेरे कितनी नश्तर राते, तुम क्या जानो !

चहरे पर बिखरी हुई बेबस बेजुबां मुस्कान, 

दिल की उदासी का आलम तुम क्या जानो !

तुम मुझको भले दिल से अपना न समझो, 

कैसी तलब थी तेरी मुझको तुम क्या जानो !

तुम मुझको चाहे कितना भी फरेबी समझो, 

दुनिया अहर्निश राहे तकती तुम क्या जानो !

फूल की महक सी बसी हो तुम रूह में मेरी ,

बिन रूह की देह का आलम तुम क्या जानो !

बरस रहें खत के सीने पर अल्फाज बनकर,

मासूम अश्कों के दर्द की दास्ताँ तुम क्या जानो ! 

जहां भर की रुसवाईयाँ झेली हैं तेरे खातिर, 

कितने रिश्ते रूठ गये मुझसे तुम क्या जानो! 



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