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फुटकर शेर

फुटकर शेर

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1. उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो,

हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो।



2.इक फूल है गुलाब का आज उनके हाथ में,

धड़का मुझे है ये कि किसी का जिगर न हो।



3.अल्लाह रे सादगी, नहीं इतनी उन्हें ख़बर,

मय्यत पे आ के पूछते हैं इन को क्या हुआ।



4.किसी रईस की महफ़िल का ज़िक्र क्या है 'अमीर'

ख़ुदा के घर भी न जाएंगे बिन बुलाये हुए।



5.ऐ ज़ब्त देख इश्क़ की उनको ख़बर न हो,

दिल में हज़ार दर्द उठे आंख ततर न हो।


6 .मुद्दत में शाम-ए-वस्ल हुई है मुझे नसीब,

दो चार साल तक तो इलाही सहर न हो।



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