STORYMIRROR

Dr Baman Chandra Dixit

Romance

3  

Dr Baman Chandra Dixit

Romance

पहरा चेहरे पे

पहरा चेहरे पे

1 min
462

चेहरा छुपा लिया जो तूने

हथेलियों पे,

धड़कनें बढ़ गयी मेरी

बन आयी जान पे।


साँसें बहके बहके

बेकाबू बेकरार,

आहें रह रह के

छीने चैन करार।

क्यों ये सितम हसीना

ढाती आशिकों पे।।


पलकें झुकी झुकी सी

नज़रें रुकी हुई,

उंगलियों की आड़ से

देखें छुपी हुई।

ना मारो यूँ नज़र की

तीर ज़िगर पे।।


बिखरी बिखरी जुल्फें

गाल गुलाबी थामे,

लट कोई मतवाला

होठ रंगीली चूमे।

और ना जलाओ जिया

इतनी बेदर्दी से।।


एक टुकड़ा चाँद का

बिखरी सी चांदनी,

खिली कली सी हुस्न पे

हया हलाली बंधनी।

हटा भी दो हसीना

पहरा चेहरे से।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance